डिस्क्लेमर: यह कहानी पूरी तरह काल्पनिक है और केवल 18+ उम्र के पाठकों के लिए है। इसका किसी भी असल व्यक्ति या घटना से कोई संबंध नहीं है।
🌙 रात की शुरुआत
मैं गांव से बाहर पढ़ाई करने गया था, लेकिन गर्मी की छुट्टियों में वापस अपने चाचा-चाची के घर आ गया। वो दोनों मेरे बहुत करीब थे। चाची की हँसी, उसकी आंखों की मासूमियत और उसका सलीका हमेशा ही मुझे कुछ अलग महसूस कराता रहा था।
उस दिन रात को बिजली चली गई थी। गर्मी से बेहाल मैं आंगन में लेटा था। चाची पानी लेकर आई और हल्के से मुस्कराई, “नींद नहीं आ रही क्या?”
“नहीं चाची, बहुत गर्मी है…” मैंने जवाब दिया।
वो थोड़ी देर मेरे पास बैठ गईं, और धीरे से अपने पंखे से मुझे हवा करने लगीं। मेरे दिल की धड़कनें तेज हो रही थीं। चाची का वो पास आना, उसकी खुशबू, और उसकी नज़रों में एक अजीब सी नरमी थी।
💞 नज़दीकियाँ
चाची ने पूछा, “तू अब बड़ा हो गया है ना?”
मैंने कहा, “हाँ चाची… और कुछ बातें अब समझने भी लगा हूँ।”
उसने मेरी तरफ देखा… उसकी आँखों में हल्की शरारत थी। “क्या बातें समझता है तू अब?” – उसने हल्के से पूछा।
मैंने हिम्मत करके उसका हाथ पकड़ लिया।
वो चौंकी नहीं। बस हल्की सी मुस्कराहट के साथ मेरे पास खिसक आई। “तुझे क्या लगता है मैं तुझसे दूर जाना चाहती हूँ?”
मैंने धीरे से कहा, “नहीं चाची… मैं तो आपको और करीब लाना चाहता हूँ।”
🔥 वो रात
फिर चाची ने मुझे गले लगाया… और उस रात हमने एक-दूसरे की खामोशियों को महसूस किया। चाची के बालों की खुशबू, उसकी उंगलियों का स्पर्श, और उसका साथ — उस रात सब कुछ पहली बार था।
हमने कुछ शब्द नहीं कहे, बस एक-दूसरे की धड़कनों को सुना।
रात भर चाची मेरी बाहों में रहीं, और मैं उसकी गर्माहट में खो गया।
🌅 अगली सुबह
सुबह होते ही वो उठी और मुस्कराकर बोली, “अब तू सिर्फ मेरा भतीजा नहीं रहा…”
मैंने कहा, “मैं अब आपका सब कुछ बन चुका हूँ।”